डॉग डे: एक छत, एक रोटी और एक साथी के लिए तरसती दो मासूम आंखें

दरवाज़े पर बैठने पर न जाने कितनी बार उन्हें दुत्कारा जाता है, पर वो मासूम कुत्ते अपनी ज़िद्द से बाज़ नहीं आते, और फिर भी हमारे दरवाज़े पर अपना हक जताए बैठे रहते हैं।

घर से बाहर निकलते ही, दरवाज़े पर बिन बुलाए मेहमान की तरह या किसी चौकीदार की तरह बैठे, वो बेज़ुबान मुझे देखकर खुश होने लगते हैं, उनकी ललचाई आंखें मेरे हाथ में मौजूद सामान में उनके लिए लाया हुआ खाना ढूंढती हैं, और अगर हाथ खाली हों तो वे चुपचाप अपनी जगह जाकर बैठ जाते हैं।

मेरी तरह आपके घर के बाहर का नज़ारा भी कुछ ऐसा ही होता होगा। दरवाज़े पर बैठने पर न जाने कितनी बार उन्हें दुत्कारा जाता है, पर वो मासूम कुत्ते अपनी ज़िद्द से बाज़ नहीं आते, और फिर भी हमारे दरवाज़े पर अपना हक जताए बैठे रहते हैं।

पूरे दिन हमारे घरों की रक्षा करने के बाद, कुत्ते हमसे सिर्फ एक रोटी की उम्मीद करते हैं। एक घर, ‌एक रोटी और एक साथी के अलावा भला कुत्ते और क्या चाहते हैं। वो हमसे सिर्फ प्यार और खाने की उम्मीद ही तो करते हैं, जिसके बदले वो हमें निस्वार्थ प्यार करते हैं और भरोसा देते हैं। ऐसे ही तो होते हैं ये बेज़ुबान।

उनकी इस उम्मीद को अगर हम सब पूरा करने लगे तो शायद ही कोई बेज़ुबान अकेला और भूखा होगा। तो चलिए इस अंतर्राष्ट्रीय कुत्ता दिवस (Dog Day) या इंटरनेशनल डॉग डे पर हम डॉग्स के इस दिन को उनके लिए खास बनाएं।

कब है इंटरनेशनल डॉग डे? (Kab hai International Dog Day?)

26 अगस्त को है डॉग डे। हर साल ये इसी दिन पर मनाया जाता है। इस दिन को आप अपने डॉग के नाम कर सकते हैं। उन्हें कहीं बाहर ले जा सकते हैं, उनके साथ पूरे दिन खेल सकते हैं या फिर उन्हें एक ग्रूमिंग सेशन गिफ्ट कर सकते हैं। लेकिन, अगर आपके पास कोई डॉग न हो तो इस दिन पर आप किसी स्ट्रीट डॉग की मदद कर सकते हैं या फिर चाहे तो उन्हें गोद भी ले सकते हैं।

क्यों है खास कुत्तों का दिन? (Kyun hai khash kutton ka din?) 

डॉग डे की शुरुआत साल 2004 में कोलीन पेगे ने की थी। वो एक पेट लाइफस्टाइल एक्सपर्ट, एनिमल रेस्क्यूर एडवोकेट, डॉग ट्रेनर और लेखक थे। उनकी फैमिली ने 26 अगस्त को ही एक कुत्ते को गोद लिया था, जिसका नाम ‘शेल्टी’ था। उसी दिन से उन्होंने हर साल डॉग डे मनाने के बारे में सोचा।

बहुत से मिश्रित नस्ल वाले कुत्ते सड़कों पर आज भी किसी परिवार से खुद को अपनाने की मांग कर रहे हैं। डॉग डे या कुत्तों का दिन लोगों में बेज़ुबान जानवर को सम्मान देने, उनकी देखभाल करने और गोद लेने की जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, ताकि हम इंसान बेज़ुबान जानवरों को अपने जीवन में थोड़ी सी जगह देकर, उन्हें एक बेहतर ज़िंदगी दे सकें।

एक साथी गोद लें, खरीदें नहीं (Ek sathi god lein, khareedein nahin)

हम सब में से बहुत लोग खुद को कुत्तों का खास साथी मानते हैं। कुत्तों के लिए इसी प्यार को दिखाने के लिए हम अक्सर सबसे बढ़िया ब्रीड का कुत्ता महंगी कीमत पर खरीद लाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हम सच में एक कुत्ते को अपना साथी बनाना चाहते हैं तो हमारे दरवाज़े पर बैठे या गली में घूमते, वो अकेले और भूखे कुत्ते भी हैं। ऐसे डॉग्स सिर्फ खाने के ही नहीं बल्कि प्यार के भी भूखे होते हैं।

डॉग डे भी खास तौर पर इसी बात के लिए इशारा करता है कि हमें कुत्तों को खरीदने की जगह स्ट्रीट डॉग को गोद लेना चाहिए, ताकि उन सामान्य से दिखने वाले मासूम बच्चों को भी एक परिवार और छत मिल सके, और उनकी ज़िंदगी में खुशियां आ सकें।

जो ब्रीड डॉग्स होते हैं, उनसे उनके बच्चे छीनकर बेच दिए जाते हैं। अब हम चाहे उन मासूम डॉग्स के बच्चों को कितना ही प्यार क्यों न कर लें, मगर उनकी और उनके मां की बीच की दूरी का कारण हम ही बन जाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ सड़कों पर लाचार घूमते कुत्ते बेसहारा होते हैं, उन्हें हम जैसे पालने वाले की ज़रूरत होती है। तो अगर हम डॉग्स को शेल्टर होम या सड़कों से गोद लेने लगे तो कहीं न कहीं हम उस वक्त तीन डॉग्स की मदद करते हैं एक जो अकेला था, और एक जो अपनी मां से अकेला होने वाला था, और एक मां जो अपने बच्चे से अलग होने वाली थी।

तो चलिए इस डॉग डे पर हम भी अपने परिवार में एक चार पैरों वाला सबसे प्यारा सदस्य शामिल कर लेते हैं, जो हमारी ज़िंदगी में खुशियों की बौछार लेकर आएंगे। आर्टिकल पर फीडबैक हमें कमेंट में लिखकर ज़रूर दें। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पर बने रहें।

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