जयपुर: टूरिस्ट प्लेस, लज़ीज़ खाना और मदमस्त लोगों का गुलाबी शहर

शहर के बीच तन कर खड़ा हवामहल दुनिया भर से आए पर्यटकों से भरा रहता है। बाज़ारों में बिकते हस्तशिल्प सामान बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगते हैं। इन सब की सुंदरता बढ़ाता कहीं दूर से आता स्वर, ‘केसरियां बालमा आवो मारे देश…’ सबको मंत्रमुग्ध करता है।

मुझे बीते साल नवंबर में ही गुलाबी शहर का भ्रमण करने का मौका मिला। जी हां, मैं बात कर रही हूं, राजस्थान की राजधानी जयपुर की, जो गुलाबी नगरी के नाम से हर दिल में अपनी छाप छोड़े हुए है। जयपुर सिर्फ नाम का गुलाबी नहीं है, बल्कि इस शहर की हवाओं में भी गुलाबी रंग घुला हुआ है। हर घर, हर दुकान, नीले और गुलाबी रंग से पुती हुई, रंग-बिरंगे पहनावे, पुरानी संस्कृति को समेटे हुए लंहगे-ओढ़नी और स्वादिष्ट पकवान जैसे जयपुर की फेमस मिठाई यानी घेवर जयपुर की शोभा बढ़ाते हैं।

शहर के बीच तन कर खड़ा हवामहल दुनिया भर से आए पर्यटकों से भरा रहता है। बाज़ारों में बिकते हस्तशिल्प सामान बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगते हैं। इन सब की सुंदरता बढ़ाता कहीं दूर से आता स्वर, ‘केसरियां बालमा आवो मारे देश…’ सबको मंत्रमुग्ध करता है। जयपुर के कुछ ऐसे ही नज़ारे मैं अपने साथ अपनी यादों और कैमरे में कैद करके ले आई। सच में जयपुर कला, साहित्य और संस्कृति से भरा हुआ है और घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक शहर है। चलिए आगे जानते हैं जयपुर के दर्शनीय स्थल के बारे में।

गुलाबी शहर जयपुर और वहां की संस्कृति (Gulabi Sahar Jaipur aur wahan ki sanskriti)

जयपुर हमेशा से ही अपने इतिहास को लेकर काफी धनी रहा है। जब भी पर्यटक यहां आते हैं तो वह यहां की संस्कृति और धरोहरों के दर्शन करना बिल्कुल नहीं भूलते। नए जमाने में पुरानी संस्कृति की झलक यहीं देखने को मिलती है। जयपुर अपनी रंगीन संस्कृति, किले, महलों, झीलों के लिए पूरे भारत में मशहूर है। यहां की घुमावदार सड़कों पर सजी दुकानें बेहद आकर्षक लगती हैं। सिर पर पगड़ी और गले में गमछा तो जैसे यहां की शान है।

घरों की और दहलीजों की दीवारों पर हाथ से बनी कलाकृतियां बेहद मनमोहक लगती हैं। रंग-बिरंगे और स्वादिष्ट पकवानों की महक तो दूर से ही किसी के भी जुबान पर पानी ला देती है। यहां की बोली में अपनापन और प्यार छिपा रहता है। जयपुर जैसे खूबसूरत शहर की स्थापना महाराज जयसिंह द्वितीय द्वारा 1727 ई. में की गई थी। ये शहर चारों ओर से एक दीवार से घिरा हुआ है और इसे नौ खंडों में बांटा गया है। सात दरवाजों के माध्यम से जयपुर में प्रवेश किया जा सकता है। इस शहर की डिजाइन इंजीनियर विद्याधर भट्टाचार्य ने ग्रिड सिस्टम के आधार पर तैयार की थी। यहां पर देखने लायक इतने सारे स्थान हैं कि किसी के लिए एक दिन में सब देख पाना बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है। तो चलिए आइए जानते हैं जयपुर की कुछ खास जगहों के बारे में जो सबके दिलों के अपनी छाप छोड़े हुए हैं।

हवा महल की खासियत (Hawa Mahal ki khasiyat)

हवा महल को कौन नहीं जानता। पूरे जयपुर की शान हवा महल खूबसूरत नक्काशी से सजे झरोखों और बलुआ पत्थर से बना हुआ है। जयपुर आए और हवा महल नहीं गये, ये तो बिल्कुल जयपुर की यात्रा अधूरी ही रह जाने जैसी बात है। छत्ते के आकार में बना हवा महल जयपुर के एक मील का पत्थर है। ये पांच मंजिला इमारत 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने शाही महिलाओं और रानियों के लिए सड़क पर रोज़मर्रा की ज़िंदगी और समारोहों को देखने के लिए बनाई थी, क्योंकि उन्हें बिना चेहरा ढके सार्वजनिक जगहों पर आने की इजाज़त नहीं थी। उन्हें महल से बाहर घूंघट करके निकलना होता था। इस महल में 953 खिड़कियां या झरोखे हैं, जो जटिल डिजाइनों से सजाए गए हैं, जिनसे ठंडी हवाएं महल के भीतर जाती रहती है। जयपुर का सबसे सुंदर और आकर्षक का केंद्र है हवा महल, तभी तो ये जगह पर्यटकों की पहली पसंद बनी हुई है। देखा जाए तो प्रेम में बनाए गए ताजमहल जैसा ही एहसास यहां भी है। तो फिर आपने जयपुर की यात्रा के बारे में क्या सोचा है?

आस्था से भरा गतलाजी मंदिर (Ashtha se bhara Gatlaji Mandir)

सूर्य देव, हनुमान और बालाजी को समर्पित गलताजी मंदिर जयपुर में एक हिंदू तीर्थ स्थल है। इस मंदिर में तीर्थस्थल, पवित्र तालाब, मंडप और प्राकृतिक झरने बने हुए हैं। इस मंदिर की दीवारों पर नक्काशी से बनी कलात्मक चित्रकला मंदिर को आलिशान हवेली जैसा रूप देती हैं। जयपुर का ये मंदिर एक जैसा मंदिर है, जिसमें और भी बहुत से मंदिर बने हुए हैं।

अरावली पहाड़ियों में यह मंदिर एक संकरे पहाड़ के अंदर बना हुआ है। दीवारों और छतों को भित्तिचित्रों से सजाया गया है। छतरियों का जटिल डिज़ाइन और जालियां मंदिर की खूबसूरती बढ़ाती हैं। यहां बहुत से बंदरों का आना-जाना लगा रहता है, इसलिए इस मंदिर को लोग ‘बंदर मंदिर’ भी कहते हैं। इस जगह को यहां रहने वाले लोग ‘गलवार बाग’ गलताजी मंदिर कहते हैं। मंदिर को सूर्य देव के मंदिर के रूप में जाना जाता है। जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक श्रृद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने भी ज़रूर जाते हैं।

नाहरगढ़ किला और इतिहास (Nahargarh kila aur itihaas)

नाहरगढ़ किले के ऐतिहासिक खंड के भीतर स्थित, नाहरगढ़ जैविक उद्यान बच्चों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक ज़रूरी जगह है। 2016 में, राम निवास जयपुर चिड़ियाघर को नाहरगढ़ जैविक पार्क के रूप में बदल दिया गया था। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीव सफारी के दौरान विभिन्न प्रकार के जानवरों को देखा जा सकता है। सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली प्रजातियों में रॉयल बंगाल टाइगर, लकड़बग्घा, तेंदुआ, मगरमच्छ, सुस्त भालू, हिमालयी काला भालू और पक्षियों की 200 से ज़्यादा प्रजातियां शामिल हैं। एक बड़े स्थान में फैला यह पार्क ग्रेनाइट चट्टानों, पत्थर की चट्टानों, शुष्क पत्थरों और उष्णकटिबंधीय वर्षा (tropical rain forest) वनों से बना है।

सिटी पैलेस (City Palace)

जयपुर का सिटी पैलेस हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। सिटी पैलेस में प्रसिद्ध महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय है और ये जयपुर के शाही परिवार का निवास स्थान है। महल भारतीय, मुगल और यूरोपीय स्थापत्य शैली का एक अद्भुद मिश्रण है, जो इसके भव्य स्तंभों, जाली के काम या नक्काशीदार संगमरमर के अंदरूनी हिस्सों में साफ दिखता है। सिटी पैलेस में कई इमारतें, आंगन और खूबसूरत बगीचे हैं।

यहां का महल दीवान-ए-खास, महारानी पैलेस में एक हथियार प्रदर्शन और महाराजा की सवारी का एक संग्रहालय बग्गी खाना का घर है। सिटी पैलेस में चंद्र महल और मुबारक महल भी देखने लायक हैं। मुबारक महल में प्रदर्शन वेशभूषा और कपड़े हैं और शस्त्रागार बारीक-गढ़े गए खंजर और तलवारों को संरक्षित करने के लिए बना हुआ है।

शीशे, भित्तिचित्रों और जालियों से सजी दीवारों वाला ये महल गुज़रे ज़माने की झलक दिखलाता है। वर्तमान निवासी चंद्र महल में रहते हैं, जो घुमावदार छज्जों और गुंबददार छतों वाला बेहद खूबसूरत स्ट्रक्चर है। जहां इसकी सातों मंजिलों में अलग-अलग आर्किटेक्चरल स्टाइल है। अपनी इसी भव्यता के लिए सिटी पैलेस, जयपुर का सबसे मशहूर पर्यटन केंद्र बना हुआ है।

कैसे पहुंचें जयपुर और कौन से मौसम में? (Kaise pahuchein Jaipur aur kaun se mausam mein?)

जयपुर राजस्थान के गर्म इलाकों में शामिल है। इसलिए यहां घूमने के लिए गुलाबी मौसम चुनना पड़ता है। आप अक्टूबर से फरवरी के बीच यहां आकर इस गुलाबी नगरी का मजा ले सकते हैं। जयपुर पहुंचे के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग से जाया जा सकता है।

यहां का हवाई अड्डा शहर से 12 किलोमीटर दूर सांगानेर में है। इसमें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों टर्मिनल हैं और यह दुनिया भर के विभिन्न शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी की सुविधा देता है और कई एयरलाइंस रोज़ वक्त पर उड़ानें भरतीं हैं‌। तो अगर आप यहां हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो आपको जयपुर पहुंचे में कोई परेशानी नहीं होगी।

अगर आप रेल में यात्रा करने के शौकीन हैं तो आप यहां आरामदायक और एसी शताब्दी एक्सप्रेस जैसी कई ट्रेनों से जयपुर पहुंच हैं, जो इसे भारत के बहुत से शहरों से जोड़ती हैं।

जयपुर पहुंचे के लिए आप सड़क का भी सहारा ले सकते हैं। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (आरएसआरटीसी) जयपुर और राज्य के अन्य शहरों के बीच नियमित वोल्वो (वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित) और डीलक्स बसें चलाती हैं। आप यहां के बस स्टैंड से बसें पकड़ सकते हैं या अपने खुद की गाड़ी से भी यहां पहुंच सकते हैं। कुल मिलाकर आप जयपुर भले ही किसी भी मार्ग से आएं, आपको ये खूबसूरत और आलीशान ही दिखेगा।

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