खूबसूरत सुबह

एक खूबसूरत सुबह

उसने रेड सिग्नल (Red Signal) पर ब्रेक मारने से पहले ज़ोर से कहा, मुझे इस दिन से नफरत है, मुझे अपने जीवन से नफरत है। पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

हालांकि अभी सुबह के सिर्फ 9 बजे थे। उसने अपनी गाड़ी को ड्राइव वे से रिवर्स करते हुए सोचा यह दिन, इससे तो ज्यादा बुरा हो नहीं सकता। यह सोचते हुए वह सड़क पर तेज़ी से आगे बढ़ गया।

सुबह-सुबह अपनी पत्नी के साथ क्रेडिट कार्ड को लेकर हुए विवाद से उसका सिर घूम गया था। आज उस पर ऑफिस में एक महत्वपूर्ण प्रेजेंटेशन (Presentation) देने का भी दबाव था। उसने रेड सिग्नल पर ब्रेक मारने से पहले जोर से कहा, मुझे इस दिन से नफरत है, मुझे अपने जीवन से नफरत है।

जब वह वहां चिड़चिड़ा बैठा था, तो उसने बाहर की तरफ देखा। फुटपाथ पर बूढ़ी औरत बैठी थी, जिसके पैर नहीं थे। वह भिखारियों से नफरत करता था, क्योंकि उसका मानना था कि स्थितियां खराब नहीं होती। वह कड़ी मेहनत में विश्वास करता था। लेकिन उस बुढ़िया ने उसे बेचैन कर दिया था। वह महिला कमज़ोर और दिव्यांग थीं। ऐसे में वह चाहकर भी काम नहीं कर सकती थीं। इससे भी बुरी बात यह थी कि उसे देखकर लग रहा था कि उसने कई दिनों से खाना तक नहीं खाया था।

उसकी दुर्दशा से आहत होकर वह कार से उतरा और उसके पास चला गया। उसने उसे वह सैंडविच दिया, जिसे उसने दोपहर के भोजन के लिए पैक करवाया था। जब वह वापस मुड़ने लगा तो उस महिला ने उसके पैरों को थपथपाया। वह असहज हो गया। वह शर्मिंदा नहीं होना चाहता था। इसलिए उसने सोचा कि अब उसे चलना चाहिए।

लेकिन अनिच्छा से ही सही, वह मुड़ गया। महिला मुस्कुरा रही थी और सैंडविच का आधा हिस्सा पकड़कर कह रही थी, ‘बेटा तुम भूखे लग रहे हो। चलो इसे बांटकर खाते हैं।’

बत्ती हरी हो गई थी। दोबारा अपनी राह पकड़ते ही उसे एहसास हुआ कि उसका सिरदर्द गायब हो गया है। उसने अपना चेहरा कार के रियर व्यू मिरर में देखा, वह मंद-मंद मुस्कुरा रहा था। सुबह के साढ़े नौ बज चुके थे और उसका  दिन, अच्छे दिन यानी खूबसूरत सुबह (Beautiful morning) में बदल चुका था।

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