गुलजार की शायरी में है जिंदगी की झलक

गुलजार की 10 शायरियां, जो दिखाती हैं जिंदगी की झलक

प्यार पर उम्दा शायरियां लिखने वाले गुलज़ार, ज़िंदगी पर भी बेहतरीन लिखते हैं। उनके लिखे में कब प्यार और ज़िंदगी एक बन जाती है, पढ़ने वाले को पता भी नहीं चलता है।

कुछ लोगों को पढ़ते वक्त आपको ये नहीं लगेगा कि आप कुछ पढ़ रहें हैं बल्कि आपको लगने लगेगा आप कुछ जी रहें हैं। किसी के लिखे हर शब्द में एक कहानी की शुरुआत दिखने लगती है। किसी की लिखी दो पंक्तियों में ज़िंदगी और मौत के बीच का वक्त दिखने लगता है। कुछ ऐसा ही जादू है गुलज़ार के लिखे में।

गुलज़ार शायरी (gulzar ki shayari), नज़्म और काफी कुछ लिख चुके हैं। खासतौर पर गुलज़ार के शेर आपको बच्चे-बच्चे की जुबान से भी सुनने को मिलेंगे। खड़ी बोली में लिखी गुलज़ार की शायरी (gulzar hindi shayari) हर उम्र के लोगों को पसंद आती है। उनका लिखा किसी खास उम्र से ताल्लुकात नहीं रखता।

प्यार पर उम्दा शायरियां लिखने वाले गुलज़ार, ज़िंदगी पर भी बेहतरीन लिखते हैं। उनके लिखे में कब प्यार और ज़िंदगी एक बन जाती है, पढ़ने वाले को पता भी नहीं चलता है। कभी न कभी गुलज़ार की शायरी हम सभी ने सुनी होगी। आज हम उनकी लिखी बेहतरीन रचनाओं में से उन शायरियों पर नज़र डालेंगे जो उन्होनें ज़िंदगी के अनुभवों पर लिखी हैं।

जिंदगी पर गुलज़ार की शायरी (Zindagi par gulzar ki shayari)

उम्र ज़ाया कर दी लोगों ने, औरों में नुक्स निकालते-निकालते
इतना खुद को तराशा होता, तो फरिश्ते बन जाते।

गुलज़ार साहब की शायरियां

गुलज़ार की लिखी इस शायरी में ज़िंदगी का एक बेहद कड़वा सच छिपा है। हम सब यही तो करते हैं, दूसरों में गलतियां निकालते हैं। कई बार तो अपनी गलतियों का इल्ज़ाम भी दूसरों पर ही लगाते हैं। गुलज़ार कहते हैं कि अगर हम ऐसा करने से बच जाएं तो हम खुद की कमियों पर काम कर सकते हैं और हर क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। इस शायरी में ‘फरिश्ते’ का मतलब ही है अपनी ज़िंदगी में सफल होना।

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।

गुलज़ार शायरी

इन दो पंक्तियों में इंसान और वक्त की समानता को दिखाया गया है। हम हमेशा वक्त के लिए शिकायत करते हैं कि अच्छा वक्त जल्दी चला जाता है, वक्त बदलते देर नहीं लगती, वक्त किसी का नहीं होता और न जाने क्या-क्या। लेकिन, शायद ही हमने कभी सोचा हो कि हम भी वक्त जैसे ही तो हैं, कब बदल जाए कुछ पता नहीं। वक्त की तरह इंसान भी एक जगह टिककर नहीं रह सकता चाहे वो ज़िंदगी में हो, काम में हो या फिर रिश्तों में।

एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियां पाल लीं,
और लोग कहते हैं कि हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली।

गुलज़ार कोट्स

ये तो हम सबकी कहानी है। एक लक्ष्य को पाने में ज़िंदगी भर लगे रहते हैं ताकि एक दिन सुकून से रह पाएं। इस सफर में न जाने हम क्या-क्या झेलते हैं, क्या-क्या खो देते हैं। फिर जब एक दिन हम उस लक्ष्य को पा लेते हैं तो ज़माना हमारी पीठ थपथपाते हुए कहता है कि ‘आखिर तुम बड़े हो ही गए।’ लेकिन इस बड़े होने के सफर तक हमने क्या झेला है ये सिर्फ हम जानते हैं।

टूट जाना चाहता हूं, बिखर जाना चाहता हूं,मैं फिर से निखर जाना चाहता हूं
मानता हूं मुश्किल है,लेकिन मैं गुलज़ार होना चाहता हूं।

best shayari by gulzar in hindi

क्या ये हम नहीं चाहते? शायद हर वक्त चाहते हैं। ज़िंदगी की लड़ाइयों से जीतकर, बार-बार ठोकर खाकर, हम भी निखरना ही तो चाहते हैं। हर वक्त ये हमें मुश्किल लगता है, लगता है कि शायद इतनी हिम्मत हमारे अंदर नहीं है, लेकिन आखिर हम भी गुलज़ार होना चाहते हैं।

पूरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता है,
भूल जाता है कि आधा चांद भी खूबसूरत होता है।

best shayari of gulzar in hindi

गुलज़ार ने इंसान की भावनाओं को काफी बारीकी समझा है। इंसान अपनी पूरी ज़िंदगी में कभी खुश नहीं रह पाता। एक रोटी से दो रोटी, एक मकान से दो मकान के सपने हम सब अपनी पूरी ज़िंदगी देखते हैं। ज़िंदगी के आखिरी पड़ाव में हमें समझ आता है कि न तो हमने कभी एक रोटी का ढंग का स्वाद लिया और न ही कभी एक मकान को ‘घर’ बना पाएं।

दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
पत्त्थर तो नहीं बना पर अब मोम भी नहीं रहा।

gulzar sahab shayari

बचपन और जवानी के दिन, जब हमारा मन बिल्कुल साफ होता है। फिर उस मन पर कई धोखे, कई बातें, कई हार और कई टूटे सपने दाग लगाते चले जाते हैं। समय के साथ हमारा मासूम मन, मोम और पत्थर के बीच कहीं झूलता रहता है।

ना राज़ है “ज़िन्दगी”, ना नाराज़ है “ज़िन्दगी”,
बस जो है, वो आज है ज़िन्दगी।

hindi shayari gulzar sahab

यहां गुलज़ार हम सभी को ज़िंदगी के बारे में कुछ समझाने की कोशिश कर रहें हैं। वो कह रहें कि ज़िंदगी को एक राज़ समझकर और इसकी पहेली को सुलझाते रहने से हमें कुछ हासिल नहीं होगा। न ही ज़िंदगी को बुरा समझकर, इसे कोसने से कुछ मिलेगा। लेकिन, आज जितनी ज़िंदगी मिली है, उसे जी लेने से ही हमें सच्ची खुशी मिलेगी।

समेट लो इन नाजुक पलों को ना जाने ये लम्हें हो ना हो,
हो भी ये लम्हें क्या मालूम शामिल उन पलो में हम हो ना हो।

shayari gulzar on life

ज़िंदगी पर लिखी गुलज़ार की एक और बेहद खूबसूरत शायरी। हम अक्सर ज़िंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को नज़रअंदाज़ करते हैं। किसी को भविष्य में खुशी देने के लिए आज उससे दूर रहते हैं। लेकिन, हमें खुद पता नहीं होता कि आने वाले समय में हम उस इंसान के कितने पास होंगे या शायद नहीं भी होंगे।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीदें कम हो गईं।

खुशी शायरी गुलजार

हमारे साथ भी यही होता है। किसी को अपना मानते हैं, उससे उम्मीद रखते हैं और फिर वो उम्मीद टूट जाती है। इसके बाद हमारा दिल उस इंसान से टूट जाता है। तो इस मर्ज़ की दवा क्या है? यही कि हम उम्मीद रखना ही बंद कर दें। न उम्मीद करेंगे और न ही दुख होगा।

दर्द की भी अपनी एक अदा है,
वो भी सहने वालों पर फ़िदा है।

गुलज़ार शायरी इन हिंदी

अक्सर आपने देखा होगा कि जिस इंसान में दर्द सहने की क्षमता होती है, उसे दर्द भी उतना ही मिलता है। हम अक्सर जितना सहने की कोशिश करते हैं, ज़िंदगी की मुश्किलें उतनी ही बढ़ती चली जाती हैं। ऐसे में गुलज़ार की ये शायरी हम सबके दिल का हाल बयान करती है।

गुलज़ार शायरी लिखने में कितना डूब जाते हैं, ये उन्हें लिखे में झलकता है। जितनी गहराई से वो लिखते हैं, उतनी ही गहराई में उनकेलिखे को पढ़ने वाला भी डूब जाता है। ऐसे ही लेखकों की रचनाओं को पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।

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