आत्माओं की दुनिया

आत्माओं की दुनिया, जानें इससे जुड़े अनछूए रहस्य

मौत जितनी रहस्यमय है उतनी ही रहस्यमय है मौत के बाद की दुनिया है। इस विषय में अंकज्योतिषी शीला एम बजाज से हुई बातचीत के प्रमुख अंश जानने के लिए पढ़ें ये खास लेख।

जब हम जीवित व स्वस्थ होते हैं तब मौत के बारे में सोचते ही नहीं हैं। इस तरह रहते हैं, मानो हम कभी मरने वाले नहीं हैं। लेकिन जैसे ही हमारा स्वास्थ्य गिरने लगता है, वैसे ही हमें महसूस होता है कि मौत करीब ही मंडरा रही है। सच्चाई तो यह है कि हम जैसे भी जी रहे हो; फिर भी मौत से बच नहीं सकते। बेहतर है, हम मौत का सामना करें – चाहे वह कितनी भी भीषण क्यों ना हो।

मौत से बचने के लिए हम विज्ञान का सहारा ले रहे हैं। विज्ञान भी इसकी भरसक कोशिश कर रहा है। लेकिन, हम चाहे जो भी कर लें, मौत से बच नहीं सकते। सच तो यह है कि हम मौत को झांसा दे ही नहीं सकते। इसीलिए हम सवाल पूछते रहते हैं कि ‘मौत के बाद क्या होता है’ या ‘उस तरफ क्या है’? आत्मा अमर है, यह बात हम कई बार सुन चुके होते हैं। जीवात्मा अपने कर्म के अनुसार नर्क या स्वर्ग में जाती है और फिर जन्म लेती है ताकि मोक्ष प्राप्त किया जा सके। दुर्भाग्य से इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं है, इसलिए हम मौत के बाद के जीवन की केवल कल्पना ही कर सकते हैं।

मौत जितनी रहस्यमय है, उतनी ही रहस्यमय है मौत के बाद की दुनिया, यानी आत्माओं की दुनिया। हम मानते हैं कि मनुष्य का आरंभ, मध्य व अंत होता है। लेकिन, कुछ लोग मानते हैं कि मृत्यु से हमारा अंत नहीं होता। ये ऐसे दिव्य पुरुष हैं, जो मौत के बाद की दूसरी दुनिया के जीवन को जान पाते हैं। बहरहाल, मौत के बाद क्या होता है, आत्माओं की दुनिया से जुड़ी बातों को जानने के लिए हम शीतल एम बजाज से मिले। वे इस विषय के प्रति जुनून के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने दुनियाभर में ऐसे लोगों की सहायता की है, जो दूसरी दुनिया में पहुंचे अपने प्रियजनों से संपर्क करना चाहते थे। प्रस्तुत है इस मानस-माध्यम से ‘सोलवेदा’ की बातचीत के खास अंश।

आप मानसमाध्यम हैं। क्या आप अपनी इस क्षमता के बारे में बता सकती हैं?

जी हां, आम आदमी जिस तरह अन्य व्यक्तियों से बातचीत कर सकता है, उसी तरह मानस-माध्यम भी जीवात्मा से बात कर सकते हैं। मेरी तरह ही मेरा 15 साल का बड़ा बेटा अब ऐसी आत्माओं को जानने लगा है। यहां तक कि वह उनसे बात भी कर सकता है। शायद उसे यह जन्मतः उपहार मिला है। इसलिए मैं मानती हूं कि मानसिक क्षमता ईश्वरीय देन होती है। मैं नहीं जानती कि इसे प्राप्त किया जा सकता है या नहीं। लेकिन, यदि किसी को यह जन्मजात उपहार मिला है, तो वह समय के साथ उसमे और भी पारंगत हो सकता है। मैं अपना ही उदाहरण देती हूं कि मैंने अपनी इंद्रियों को शुद्ध करने के ऐसे रास्ते खोज लिए हैं कि मैं उनके शिकंजे से हमेशा बची रहती हूं। मैंने उनका सामना करने, उन्हें दूर रखने व उनसे संवाद करने की तकनीक भी विकसित कर ली है।

क्या आप बता सकती हैं कि जीवात्मा क्या होती हैं?

जीवात्मा शरीरविहीन होती हैं। जब मौत होती है, तो व्यक्ति अपना शरीर यहीं छोड़ जाता है। जीवात्मा दूसरी दुनिया की ओर चली जाती है। लेकिन, कभी-कभी वह भटक जाती है और इस धरती पर ही अटकी रहती है। ऐसी कुछ जीवात्माएं गुमराह हो जाती हैं। कभी-कभी वे इसलिए धरती पर रुक जाती हैं क्योंकि उन्हें अपनी और कोई इच्छा पूरी करनी होती है।

जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता है वैसी जीवात्मा भूत या डरावनी नहीं होती। वे ना हमारे साथ कोई गड़बड़ी करती हैं, ना हमें नुकसान पहुंचाती हैं। वे तो गुमराह हो चुके लोगों की तरह हैं। इसलिए वे जीवित व्यक्ति के साथ हो जाती हैं।

आपको पहली बार कब महसूस हुआ कि आपमें जीवात्मा से जुड़ने की क्षमता है?

मुझे तो यह क्षमता उपहार में मिली है। मैं यह नहीं बता सकती कि मुझे इसका कब पता चला। देखिए, मैं तो चिकित्सक और टैरो कार्ड रीडर रही हूं। ऐसे रीडिंग के समय मैं लोगों की उनके प्रिय जीवात्माओं से बात करा देती थी। इसलिए 20 वर्षों में मैं धीरे-धीरे जान गई कि मैं आत्माओं से बात कर सकती हूं।

क्या मरने वाले सारे लोग प्रेतात्मा बनते हैं? अथवा इनमें से क्या कुछ दूसरी दुनिया में चले जाते हैं और वहीं विश्राम करते हैं?

आत्मा की दुनिया की बात करें तो सभी मृत लोग प्रेतात्मा नहीं होते। कई आराम से दूसरी दुनिया में चले जाते हैं। कुछ ही होते हैं, जो यहां अटके रहते हैं। हां, मरने वालों में कई अन्य दुनियाओं में पहुंच जाते हैं और वहां विश्राम पाते हैं। कुछ अटके रहते हैं और अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करते हैं। ये इच्छाएं जैसी ही पूरी हो जाती हैं, वे भी शांतिपूर्वक दूसरी दुनिया में चले जाते हैं। लेकिन कई आत्माएं भटक गई हैं और वे दिशा-निर्देशन चाहती हैं।

क्या आप अपने अनुभव हमसे साझा करेंगी?

एक बार का किस्सा है। मैंने टैक्सी ली और उसमें बैठ ही रही थी कि टैक्सी में सामने एक लड़की की फोटो देखी। उस पर फूल चढ़े थे और रोशनी जगमगा रही थी। मैंने टैक्सी ड्राइवर से पूछा, कौन हैं यह? उसने कहा, मेरी बेटी। उसी समय फोटो की रोशनी टिमटिमाने लगी। मैंने जान लिया कि उसकी बेटी आसपास मंडरा रही है और उससे बात करना चाहती है। मैं ड्राइवर को इसके लिए तैयार करने लगी। मैंने उसकी बेटी के बारे में कुछ सही बातें बताई जैसे कि उसका पसंदीदा खाना क्या है और उसे कौन-सी मिठाई पसंद है। वह चकित हो गया। उसने तब बताया कि जब भी घर में उसका पसंदीदा खाना बनता है, तब किसी तरह पानी की बोतल और बर्तन टेबल से नीचे फर्श पर गिर जाता है।

मैंने उसे बताया कि ऐसा कर आपकी बेटी आपको यह बताना चाहती है कि मैं यहीं मौजूद हूं आपके पास। अंत में मैंने उससे पूछा कि क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में हैं, जिसे आपकी बेटी नहीं चाहती थी। उसने कबूल किया कि वह एक महिला के संपर्क में है। स्पष्ट है कि उनकी बेटी उन्हें उस महिला से बचाना चाहती थी। जब भी वह उस महिला के घर जाता था तब वह खाने में कुछ मिला देती थी। इससे उसे सदा पेट की शिकायत रहती थी। मैंने उसे बताया कि आपकी बेटी आपसे क्या कहना चाहती है और इस कार्य में आप इस दुनिया में उसकी मदद करें।

जब कभी मानसिक क्षमताओं का परीक्षण किया जाता है तब परिणाम नकारात्मक ही आते हैं। आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगी?

मैं नहीं जानती कि ऐसे किसी अनुभव में परीक्षण कितना काम देगा। हम ईश्वर, मंदिर या रस्मों की परीक्षा नहीं ले सकते। लोगों की प्रार्थना जब सफल होती है तब वैज्ञानिक परीक्षणों से इसके कारणों को नहीं जाना जा सकता। वस्तुतः विज्ञान आध्यात्मिक अनुभवों को परिभाषित नहीं कर सकता। ऐसे कई लोग मुझसे मिले हैं, जिन्होंने जीवात्मा की मौजूदगी अनुभव की है। इस बारे में वे बेहतर साक्ष्य हैं। वे इस बात के प्रत्यक्ष सबूत हैं कि उन्होंने किस तरह जीवात्मा से संवाद किया, उस आत्मा की सहायता की और उसे मुक्ति दिलाई।

  • शीला एम. बजाज बेंगलुरु की प्रसिद्ध अंकज्योतिषी, टैरो कार्ड रीडर और फेंग शुई विशेषज्ञ हैं। उन्होंने दुनिया भर में कई लोगों को इसमें प्रशिक्षित किया है और गूढ़ विज्ञान का विषय स्नातकोत्तर में पढ़ाती भी हैं। वे प्राणिक चिकित्सक और आध्यात्मिक गुरु के अलावा ‘द लव मिराज’ नामक पुस्तक की लेखिका भी हैं।
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