खगोल विज्ञान

ग्रह भी हमारे जीवन पर डालते हैं असर

खगोल विज्ञानी डॉ आदित्य तोगी ने एक इंटरव्यू में कहा कि खगोल विज्ञान बताता है कि ऊपर आकाश में क्या हो रहा है और नीचे पृथ्वी पर जीवन किस तरह चल रहा है। जबकि ज्योतिषशास्त्र दोनों के बीच के परस्पर संबंधों को परिभाषित करता है।

आसमान और धरती के बीच परस्पर संबंध रहस्यमय है। हमने इस तथ्य को जाना है कि चंद्रमा का इस धरती के लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। चंद्रकलाओं के घटने बढ़ने के साथ हमारी भावनाओं में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। सागरों में ज्वार-भाटा आता है। यहां तक की महिलाओं के प्रजनन चक्र पर भी असर पड़ता है। ज्यादातर लोग इसे सूर्य की शक्ति मानते हैं और अन्य आकाशीय ग्रहों की ओर कम ध्यान देते हैं। हम तो यह मानने के लिए तैयार ही नहीं होते कि सूर्य के अलावा अन्य ग्रहों का भी हम पर असर होता है। क्या वाकई ऐसा है?

खगोल विज्ञानी और अनुसंधानकर्ता डॉ आदित्य तोगी मानते हैं कि अन्य ग्रहों के हम पर प्रभाव के बारे में अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। जैसे दिन और रात होते हैं, वैसे ही आकाशीय ग्रह भी हमारे जीवन पर असर डालते हैं। ग्रहों की ओर वे धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से देखते हैं। इस ब्रह्मांड को समझने के लिए उन्होंने खगोल विज्ञान में अनुसंधान के साथ-साथ ज्योतिषशास्त्र का भी अध्ययन किया है। ‘सोलवेदा’ से एक विशेष इंटरव्यू में डॉ तोगी ने कहा कि खगोल विज्ञान बताता है कि ऊपर आकाश में क्या हो रहा है और नीचे पृथ्वी पर जीवन किस तरह चल रहा है। जबकि ज्योतिषशास्त्र दोनों के बीच के परस्पर संबंधों को परिभाषित करता है।

आप ज्योतिष हैं और ज्योतिषी पर आपने अनुसंधान भी किया है। ज्योतिष को छद्मी शास्त्र कहा जाता है। इसे एक वैज्ञानिक के रूप में आप किस तरह देखते हैं?

विज्ञान ऐसे सिद्ध ज्ञान को मानता है, जिसकी पुनरावृत्ति की जा सकती है। जहां तक मेरा मानना है कि ज्योतिष में बहुत अनुसंधान नहीं हुआ है, इसलिए उसे छद्म शास्त्र कह देना ठीक नहीं है। ग्रहों की स्थिति, गति एवं दिशा की ज्योतिषशास्त्र जिस तरह गणना करता है, वैसी ही गणना खगोल विज्ञान भी करता है। लेकिन इन सब के बारे में कौन जानता है? इसलिए ज्योतिषशास्त्र में गणनात्मक अनुसंधान की आवश्यकता है।

ज्योतिषशास्त्र में अध्ययन के दौरान आपने खगोल विज्ञान पर भी औपचारिक अनुसंधान कर दोनों का समन्वय किया है। क्यों?

खगोल विज्ञान ग्रहों, तारों, आकाशगंगाओं और अन्य कई आकाशीय पिंडों के भौतिक गुणों का अध्ययन करता है। ज्योतिषशास्त्र भी इन्हीं पिंडों के धरती के जीवन पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन करता है। मेरी राय में एक दूसरे के बिना ब्रह्मांड की कल्पना अधूरी है। क्योंकि तारों के भौतिक गुणों का अध्ययन खगोल विज्ञान करता है, जबकि ज्योतिषशास्त्र उन गुणों को और अधिक अच्छे तरीके से परिभाषित कर सकता है।

ज्योतिषशास्त्र हमारी किस तरह मदद कर सकता है?

ज्योतिषशास्त्र का फलित ज्योतिष के रूप में ही उपयोग हुआ है। लेकिन इससे हमें अपने आपको और बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है। ज्योतिष से हमें हमारी खामियों और हमारी शक्तियों का पता चल सकता है। इसके लिए अधिकांश लोग राशि का उपयोग करते हैं। लेकिन, राशि से केवल मोटा-मोटा अनुमान मिलता है, जबकि चार विभागों समेत 27 नक्षत्रों से और विस्तृत जानकारी मिलती है।

क्या आप बता सकते हैं कि नक्षत्र क्या होते हैं?

खगोल विज्ञान की भाषा में कहें तो नक्षत्र कुछ तारों का समूह होता है। कभी-कभी इसमें एक ही तारा हो सकता है। प्राचीन यूनानियों ने सूर्य चक्र को 12 राशि में बांटा है, जबकि उसे ही प्राचीन भारतीयों ने 27 नक्षत्रों में बांटा है। किसी समय में इसका विस्मरण हो गया था और आज हम जिसका अध्ययन कर रहे हैं, वह वैदिक ज्योतिषशास्त्र यानी भारत-यूनानी शास्त्र है।

खगोल विज्ञान अन्य आकाशीय पिंडों के अलावा इन नक्षत्रों के भौतिक गुणों का अध्ययन करता है। जबकि ज्योतिषशास्त्र इन नक्षत्रों में निहित बलों को मानता है और उन्हें परिभाषित करता है। स्वाति नक्षत्र का ही उदाहरण लें। वैज्ञानिक उसे आर्कट्यूरस कहते हैं, जो ग्वाला तारामंडल का सबसे चमकता इकलौता तारा है। रोहिणी (Aldebaran) और आर्द्रा (Betelgeuse) नक्षत्र भी इसी तरह के तारें हैं। ज्योतिष में इस तरह के इकलौतेपन के गुण को हम परिभाषित करते हैं। हम जातक की जन्मकुंडली में इन नक्षत्रों और चंद्रमा की स्थिति की तुलना करते हैं। इससे पता चलता है, इस तरह के जातक एकाकी रहना अधिक पसंद करते हैं और वे किसी भी समूह का अधिक देर तक हिस्सा नहीं रहते।

वैदिक ज्योतिष नक्षत्रों पर अधिक बल देता है। उनकी हमारे जीवन में क्या भूमिका है?

व्यक्ति के जन्म के समय कौन-सा ग्रह किस नक्षत्र से गुजर रहा था इस पर निर्भर करता है कि उनके जीवन में किस तरह का विशेष बल प्रवाहमान है। इसलिए जब कोई ग्रह किसी नक्षत्र में होता है, तब उसे उस नक्षत्र से बल प्राप्त होती है (हर ग्रह का भी अपना बल होता है)।

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि किसी जातक की कुंडली में गुरु ग्रह अनुराधा नक्षत्र में है। नक्षत्र के कई बल होते हैं, लेकिन इस मामले में जातक को अनुराधा नक्षत्र से समर्पण और गुरु ग्रह से विद्या की ऊर्जा का बल प्राप्त होगा। इस तरह का जातक अच्छा अध्येता या समर्पित अध्यापक होगा। अतः जातक को जान लेना चाहिए कि ग्रह उसे किस तरह का बल प्रदान कर रहे हैं।

ज्योतिषी के रूप में आप मानते हैं किजैसा ऊपर, वैसा नीचेहोता है। ब्रह्मांड किस तरह हमारे भौतिक जीवन पर असर डालता है?

एक खगोल विज्ञानी के रूप में मैंने पाया कि इस ब्रह्मांड की अपनी विकेंद्रित (fractal) व्यवस्था है। वह एक फूलगोभी की तरह है। उसका एक टुकड़ा निकाल लें, तो वह छोटी गोभी की तरह ही दिखेगा। जन्म कुंडली के साथ भी ऐसा ही है। इसलिए किसी समय यदि आकाश में एक नक्षत्र में कई ग्रह हों, तो उस समय उस नक्षत्र में जन्मे जातक की कुंडली के एक/दो स्थानों में इन ग्रहों का जमघट हो सकता है। इसलिए अराजकता की स्थिति होगी और जातक के जीवन में यह अराजकता परिलक्षित होगी।

हमारे जीवन पर सितारों का प्रभाव होते हुए भी क्या हम अपनी इच्छा से कार्य कर सकते हैं?

दर्शन के मेरे प्राध्यापक मुझे एक उदाहरण दिया करते थे, गेंद लीजिए और उसके दोनों ओर लंबवत दिशा में दो बलों का प्रयोग करें। गेंद तिरछी हो जाएगी। लेकिन क्या आपने गेंद को खुद तिरछा किया है? नहीं। दो लंबवत बलों के इस्तेमाल के कारण गेंद विकर्ण हो गई। हम जो कुछ इस धरती पर करते हैं वह इस गेंद की तरह है, वह अपनी इच्छा और सितारों के बलों का परिणाम होता है।

क्या सितारे यह बता सकते हैं कि हमारे भाग्य में क्या है और हमारे हाथ में क्या है?

हां। नक्षत्रों से हमारी पिछली ज़िंदगी और वर्तमान ज़िंदगी दोनों के कर्मों का पता चलता है। हमारे भाग्य में जो लिखा है वह तो हम बदल नहीं सकते, लेकिन इस जानकारी का उपयोग कर हम अपना जीवन आसान कर सकते हैं। यह तो बारिश में छाता लेकर निकलने जैसा है। हम बारिश तो रोक नहीं सकते, लेकिन छाते से हम बारिश से बच जरूर सकते हैं।

ज्योतिष के दो पक्ष हैंएक गूढ़ और दूसरा फलित। आप भविष्यसूचक फलित की ओर किस तरह मुड़े?

जब ज्योतिष का उपयोग आप अपना भविष्य जानने के लिए करते हैं, तो आपको अपने वर्तमान जीवन के कर्मों का ज्ञान होता है। जब आप ज्योतिष के गूढ़ पक्ष का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको अपने पिछले जन्म के कर्मों का पता चलता है। हम अपने को ऐसी आत्मा मानें जो आत्मज्ञान और आत्मोन्नति के लिए इस धरती पर अवतीर्ण हुई है, न कि केवल जन्म पाने और मरने के लिए, तो ज्योतिष आपको बता सकता है कि आपका जन्म क्यों हुआ है और आप अपना लक्ष्य किस तरह पूरा कर सकते हैं। इसलिए मैं ज्योतिष के गूढ़ ज्ञान की ओर मुड़ा हूं।

  • डॉ आदित्य तोगी वर्तमान में सेंट मेरी यूनिवस्रिटी, टेक्सास, अमेरिका में भौतिक विज्ञान के अध्यापक हैं। इसके पूर्व, वे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए), बेंगलुरू की नैशनल लार्ज सोलर टेलिस्कोप (एनएलएसटी) परियोजना में प्रोजेक्ट एसोसिएट के रूप में काम कर चुके हैं। खगोल-विज्ञानी के रूप में वे इंटरस्टेलर डस्ट एंड गैस प्रॉपर्टीज इन गैलेक्सीज (आकाशगंगा में अन्तर्तारकीय धूल और गैस) विषय के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
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